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नो प्राब्लम

फिल्मकहानी
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अनीज बाज़मी की फिल्म से दर्शक सिर्फ़ लोट पोट होने की ही उम्मीद रखते है| इस से पहले भी वे ‘नो-एंट्री’, वेलकम और ‘सिंह इस किंग’ से दर्शकों के दिलों को जीत चुके है| इन फिल्मों की सफलता के बाद सिने जगत में उन्हे हास्य का उम्दा निर्देशक माना जाने लगा| पर फिल्म ‘नो प्राब्लम’ मे उनके निर्देशन मे कही ‘प्रॉब्लम’ आ गयी और अनीज अपने ही तय किए हुए मापदंडो पर खरे नही उतार पाए|

(पढ़िए हिंदी फिल्म समीक्षाएं http://filmkahani.com)


अनीज की फिल्में देखने के लिए आपको अपना दिमाग़ घर छोड़ कर आना होता है क्योंकि उनकी फिल्मों मे कोई मजबूत कहानी नही होती, सिर्फ़ भरपूर हास्य होता है| और शायद इसलिए ही उनकी फिल्में हर वर्ग के दर्शकों को पसंद आती है| पर उनकी नयी फिल्म ‘नो प्रॉब्लम; मे ना कहानी है और ना ही हँसने को हास्य|

यश(संजय दत्त) और राज (अक्षय खन्ना) बचपन के दोस्त है और छोटे-मोटे चोर है| राज सुधरना चाहता है पर यश उसे सुधरने नही देता| जब यश ‘फर्स्ट विलेज बेंक’ को लूटता है, जो बेंक मॅनेजर झन्ड़ुलाल  (परेश रावल) भी शक के दायरे मे आ जाता है क्योंकि उसने यश और राज को अपने घर मे छिपने की जगह दी थी|

वही डरबन में अर्जुन (अनिल कपूर) एक पुलिस अफ़सर है और उसकी शादी काजल(सुष्मिता सेन) से हो रखी है| काजल पुलिस आयुक्त (शक्ति कपूर) की बेटी है| काजल को मानसिक बीमारी है जिसमे दिन मे 10 मिनट उसपर अपने पति का खून करने का जुनून सवार हो जाता है|

अर्जुन मार्कोस(सुनील शेट्टी) के पीछे पड़ा है जिसने अंतरराष्ट्रीय हीरा केंद्र से करोड़ो के हीरे चुराए है| एक तरफ झन्ड़ुलाल यश और राज को ढूँढने निकल पड़ता है वही अर्जुन मार्कोस के पीछे लगा रहता है|

राज को काजल की बहन संजना(कंगना रानौत) से प्यार हो जाता है पर झन्ड़ुलाल राज और यश का पर्दाफाश करने की धमकी देता है| यश और राज एक आखरी चोरी करने को तैयार हो जाते हिया- एक नेता के घर पर| उनके पहुँचे से पहले ही मार्कोस,जो उन हीरों की तलाश मे है, उस नेता का खून कर देता है और शक की सुई यश और राज की तरफ मोड़ जाती है|

फिर शुरू होता है आँख मिचौली का खेल जहाँ दोनो अर्जुन और मार्कोस यश और राज के पीछे पड़ जाते है –अर्जुन नेता के कातिल को ढूँढने और मार्कोस यश और राज से हीरे निकलवाने|

नो प्रॉब्लम की कहानी बेहद कमजोर है, या कहा जाए तो है ही नही| पर सबसे बड़ी बात है की इसमे अनीज का निर्देशन और पटकथा भी बेहद ढीली है| फिल्म का हास्य कमजोर है और एक-दो दृश्य छोड़ कर दर्शकों को हसाने मे असफल रहती है|

अभिनय की बात करें तो अनिल कपूर और परेश रावल सबसे उम्दा रहे| जहाँ संजय दत्त ज़रूरत से ज़्यादा कोशिश करते दिखे वही अक्षय खन्ना कुछ ख़ास छाप नही छोड़ सके| सुष्मिता सेन का किरदार अच्छा रहा पर कंगना रानौत फिल्म मे नही जची| बाकी कलाकार भी साधारण रहे|

नो प्रॉब्लम का संगीत भी ‘प्राब्लम’ से भरा रहा| ‘मस्त पंजाबी’ को छोड़ कर कोई भी गाना दर्शकों को नही जचा|

संपूर्ण मे कहे तो ‘नो प्रॉब्लम’ सिर्फ़ प्रॉब्लम से भारी है| फिल्म का पहला भाग फिर भी ठीक है पर अंतराल के बाद फिल्म देखना मुश्किल हो जाता है| फिल्म की पटकथा बेहद ढीली है, मनोरंजन की कमी है और सबसे बड़ी बात, फिल्म मे हास्य गायब है|

अंक: **


निर्देशक:अनीज बाजमी
निर्माता:अनिल कपूर प्रोडक्शंस
लेखक:अनीज बाजमी
कलाकार:अनिल कपूर, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, सुष्मिता सेन,कंगना रानौत, परेश रावल,सुनील शेट्टी
संगीत:प्रीतम, साजिद-वाजिद, आनंद राज आनंद
फिल्म रिलीज़:10 दिसम्बर,2010

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