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नो वॅन किल्ड जेस्सिका (No One Killed Jessica)

फिल्मकहानी
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बहुत ही कम ऐसे निर्देशक होते है जो असली जिंदगी की कहानी को खूबसूरती और संजीदगी से पर्दे पर उतार पाते है|  निर्देशक राज कुमार गुप्ता उन्ही गिने चुने निर्देशकों मे से एक है| राज कुमार फिल्म ‘आमिर’ से पहले ही अपनी दिशा कौशल का परिमाण दे चुके है| ‘नो वॅन किल्लड़ जेस्सिका’ से दर्शकों को पहले से ही बहुत उम्मीदें थी और राज कुमार ने उन्हे निराश नही किया|

(अपनी राय दीजिये : http://filmkahani.com/10-decade/no-one-killed-jessica.html)


जेस्सिका लाल हत्याकांड से तो लगभग हर व्यक्ति ही वाक़िफ़ होगा, पर राज कुमार गुप्ता ने इसे कहानी मे पिरोकार बेहद खूबसूरती और संजीदगी से दर्शकों के सामने पेश किया है| कहा गया था कि फिल्म जेस्सिका हत्याकांड पर आधारित है पर बाद में निर्देशक ने ये साफ़ कर दिया कि फिल्म 2006 में अंग्रेजी अखबार ‘द टाईम्स ऑफ़ इंडिया’ में छपी एक खबर पर आधारित है| निचली अदालत ने आरोपी मनु कुमार को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया था और बाद में इसे लेकर देशव्यापी विरोध हुए थे|

फिल्म की कहानी सब्रीना-जेस्सिका की बहन और मीरा गायती – पत्रकार की आँखों से बयान की गयी है| सब्रीना जहाँ अपनी बहन के कातिल को सज़ा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ती है वही मीरा बड़ी खबरों से सुर्ख़ियों मे बने रहना चाहती है|

राज कुमार गुप्ता ने फिल्म को हक़ीकत के करीब रखने की पूरी कोशिश की है| उनकी पटकथा सशक्त है  और संवाद बेहतरीन| संवादों पर दिल्ली भाषा की छाप चढी है| जहाँ संवाद काम नही करते वहाँ कलाकारों की अदाकारी पर्दे पर छा जाती है| अंतराल से पहले फिल्म दर्शकों को बाँधे रखती है पर दूसरा भाग उतना ज़ोर नही दिखा पाता| हालाँकि चरम में सब्रीना की लड़ाई भावुक कर देती  है और दर्शक सब्रीना से जुड़ा महसूस करेंगे| बीच बीच मे छोटे छोटे हास्य फिल्म को हल्का करने मे मदद करती है|

अभिनय की बात करें तो सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है| रानी मुख़र्जी लंबे समय के बाद एक अच्छे किरदार मे दिखी है| वही विद्या बालन का किरदार फिल्म की जान रहा| बड़ी सादगी से उन्होने इस संजीदा पात्र का किरदार निभाया है| ‘पा,’ ‘इश्किया ‘ और अब ‘नो वॅन किल्लड़ जेस्सिका’, विद्या अपने अभिनय की छाप छोड़ते जा रही है| बाकी सभी कलाकार भी अपने किरदार में खूब जचे|

फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी ने दिया है और फिल्म पर काफ़ी जचता है| दर्शकों को भी फिल्म के गाने अच्छे लगे है|

पूर्ण मे कहे तो फिल्म आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी की किस तरह अमीर और ताकतवर लोग अपनी पहुँच का नाजायज़ फायदा उठाते है और कितना मुश्किल होता है ऐसे बड़े लोगो को उनके अंजाम तक पहुँचना| असफल फिल्मों से जूझ रहे हिन्दी फिल्म जगत को लंबे अरसे के बाद एक  बेहतरीन और उम्दा फिल्म देखने को मिलेगी जो इस साल के लिए शायद भाग्यशाली साबित हो|

अंक: ****


निर्देशक:रोंनी स्क्रेयुवाला
निर्माता:रोंनी स्क्रेयुवाला
कलाकार:रानी मुख़र्जी, विद्या बालन
लेखक:राजकुमार गुप्ता
संगीत:अमित त्रिवेदी
फिल्म रिलीज़:7 जनवरी, 2011

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